विश्व ऑटिज़्म जागरूकता दिवस (World Autism Awareness Day)
2 अप्रैल: विश्व ऑटिज्म जागरूकता दिवस
विश्व ऑटिज्म जागरूकता दिवस (विश्व स्वपरायणता जागरूकता दिवस, World Autism Awareness Day) दुनिया भर में 2 अप्रैल 2014 को मनाया गया. इसका उद्देश्य ऑटिज्म से ग्रस्त उन बच्चों और बड़ों के जीवन में सुधार के हेतु कदम उठाना और उन्हें सार्थक जीवन बिताने में सहायता देना है. वर्ष 2014 में मनाया जाने वाला विश्व ऑटिज्म जागरूकता दिवस क्रम में 7वां है. नीला रंग ऑटिज्म का प्रतीक माना गया है.
संयुक्त राष्ट्र महासभा ने वर्ष 2007 में दो अप्रैल के दिन को विश्व ऑटिज्म जागरूकता दिवस घोषित किया था. पहला विश्व ऑटिज्म जागरूकता दिवस 2 अप्रैल 2008 को मनाया गया था.
इस बीमारी की चपेट में आने के बालिकाओं के मुकाबले बालकों की ज्यादा संभावना है. इस बीमारी को पहचानने का कोई निश्चित तरीका ज्ञात नहीं है, लेकिन जल्दी निदान हो जाने की स्थिति में सुधार लाने के लिए कुछ किया जा सकता है. दुनियाभर में यह बीमारी पाई जाती है और इसका असर बच्चों, परिवारों, समुदाय और समाज पर पड़ता है.
इस बीमारी की चपेट में आने के बालिकाओं के मुकाबले बालकों की ज्यादा संभावना है. इस बीमारी को पहचानने का कोई निश्चित तरीका ज्ञात नहीं है, लेकिन जल्दी निदान हो जाने की स्थिति में सुधार लाने के लिए कुछ किया जा सकता है. दुनियाभर में यह बीमारी पाई जाती है और इसका असर बच्चों, परिवारों, समुदाय और समाज पर पड़ता है.
भारत के सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय के अनुसार प्रति 110 में से एक बच्चा ऑटिज्म ग्रस्त होता है और हर 70 बालकों में से एक बालक इस बीमारी से प्रभावित होता है.
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